तो अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों आज हम जानेंगे के नमाज़ पढ़ने का सही तरीका क्या है और Namaz Padhne ka Sahi Tareeqa In Hindi. जैसा की आपको पता है इस...
तो अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों आज हम जानेंगे के नमाज़ पढ़ने का सही तरीका क्या है और Namaz Padhne ka Sahi Tareeqa In Hindi.
जैसा की आपको पता है इस्लाम की पाँच बुनियाद है जिसमे, नमाज़ इस्लाम की दूसरी बुनियाद है.
नमाज़ सीखने से पहले आपको कुछ बातें पता होना चाहिए अगर आपको उन सब बातों के बारे मैं पता है तो आप ये पोस्ट को आगे पढ़ सकते है. अगर आपको किसी चीज के बारे मैं नहीं पता है तो पहले उसे जान ले फिर आप नमाज़ सीखे.
Namaz पढ़ने से पहले कुछ जरुरी बातें जानना :
- Islam ki Buniyad | इस्लाम की बुनियाद
- अल्लाह के बन्दों का हक़ | Allah ke bando ke Haq
- फ़र्ज़, वाज़िब और सुन्नत किसे कहते है | Farz, wajib aur sunnat kise kehte hai
- Wazu karne ka tarika | वज़ू करने का तरीका
- नियत करने का तरीका | Niyat karne ka Tarika
तो चलिए अब सुरु करते है और जानते है नमाज़ पढ़ने का तरीका
नमाज़ पढ़ने से पहले हमें पाक साफ होना बोहोत जरुरी होता है. आप नमाज़ पढ़ने से पहले वज़ू करेंगे अगर नहाने की जरुरत है तो नाहा ले.
अगर जमात का समय हो तो मस्जिद मैं जाके इमाम के पीछे नमाज़ पढ़े. जमात मैं नमाज़ पढ़ना अच्छा होता है.
वज़ू आप घर से कर के जाये ये बेहतरीन है. और अगर आप चाहे तो मस्जिद मैं जाके भी वज़ू कर सकते है.
अगर आप अकेले नमाज़ पढ़ रहे है तो पहले वज़ू बनाये फिर किबले की तरफ मुँह कर के हो जाये, नमाज़ की नियत करें, जुबान से नियत करना जरुरी नहीं है, लेकिन अगर कर ले तो बहुत अच्छा है.
अब दोनों हाथो को ऊपर उठाये हाथ खुले होने चाहिए और हथेलिए किबले के तरफ होने चाहिए, उंगलियां सीधी होनी चाहिए, अपने हाथो को इतना ऊपर उठाये के दोनों कानो के लो के बराबर हो जाए.
फिर ताकबीर मतलब अल्लाह हु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथो को नाफ के नीचे बांध ले, बाया हाथ नीचे और उसके ऊपर दाहिना हाथ रख लीजिये. बाया हाथ खुला रखे, दाहिने हाथ की हथेली बाए हाथ की गट्टे पर पहुंच कर तीन खुली उंगलियां फैला कर रखिये, और बाकि दोनो अंगूते और छोटी ऊँगली का हल्का बना लीजिये.
अब तस्बीह पढ़िए
सुबहाना कल्ला हुम्मा.....
इसके बाद तवज्जो पढ़िए
आउजो बिसस्मिल्लाहि .....
फिर तस्मीया पढ़िए
बिस्मिल्लाहि रेहमनीर रहीम
फिर सुरह फातिहा पढ़िए
अल्हम्दु लिल्लाहि.......
इसके बाद कोई भी सूरह जैसे कुल या आईयूहलकाफ़िरूना या कुलहो वल्लाहों अहद पढ़िए
.......
रुकूअ
सूरह पढ़ने के बाद तकबीर कहते हुए रुकूअ के लिए झुक जाये.
रुकूअ मैं दोनों हथेलिओ को घुटने पे मजबूती से रखे और पिद्दीलिया सीधी खरी रखिये. दोनों हाथो की कोहनिया भी सीधी रखिये. कमर फैलाइये. सर को कमर के बराबर सीधे मैं और नज़र पैरो पे रखिये.
अब तीन या पांच या सात बार तस्बीह पढ़े
सुबहाना रबीययल अज़ीम | Subhana Rabiyal Azeem
कौमा
फिर " समी अल्लाहो लिमान हामिदह " कहते हुए खड़े हो जाये और पूरा खड़े होने बाद ' रब्बाना लकल हमदु ' पढ़िए
सजदा
फिर तकबीर केहते हुए सजदे के लिए झुक जाइये. पहले ज़मीन पर दोनों घुटने, फिर दोनों हाथ, फिर नाक, फिर माथा रखिये. सजदे मैं माथा ज़मीन पर रखना जरुरी है, वरना नमाज़ नहीं होंगी.
सजदे मैं चेहरे दोनों हाथो के दरमियाँ इस तरह रखे की हाथ के अंगूठो कानो के लो के सीधे मैं रहे. हथेलिया खुली हुई हो, उंगलियां भी खुली हुई हो और सर के सीधे मैं जमीन पर रखी हुई हो.
कमर उची उठी हुई हो, कोहनिया और राने दोनों पेट से अलग हो, पैरो के पूरे पंजे जमीन पे रखे हो. उंगलियों के सिरे किबले के तरफ मुद्दे हुए हो. काम से काम एक पैर का अंगूठा ज़मीन से सता हुआ रहना जरुरी है. अगर दोनों पैर जमीन से उठ गए तो नमाज़ नहीं होंगी. सजदे मैं तीन या पांच या सात बार
" सुबहाना रब्बीयल आला " पढ़िए
जलसा
फिर तकबीर केहते हुए बैठ जाये. बैठने के लिए घुटने मोड़ कर दाये पैर खड़ा कर लीजिये और बया पैर बिछा कर बैठ जाये. उंगलियां जहा तक हो सके क़िब्ले के तरफ रखे.
आधी मिनट इत्मीनान से बैठने के बाद दूसरा सजदा कीजिये. तकबीर केहते हुए फिर sajde मैं जाये और तीन या पांच या सात बार " सुबहाना रब्बीयाल आला " पढ़े.
अब ताकबीर केहते हुए सीधे खड़े हो जाये. सजदे से उठते और खड़े होते वक़्त बेहतर सूरत ये है के पहले पेशानी ज़मीन से उठाये, फिर नाक, इसके बाद दोनों हाथ उठा कर घुटनो पर रखिये फिर सीधे खरे हो जाइये.
अब आपकी पहली रकात पूरी हो गयी. इसी तरह दूसरी रकात पूरी कीजिये.
दूसरी रकात
अब आप सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ेंगे मगर ये बात ध्यान मैं रहे के दूसरी रकात मैं पढ़ी जानी वाली सूरह पहली रकात मैं पढ़ी जाने वाले सूर: से बड़ी ना हो.
कादा
दूसरी सजदे के बाद बैठ जाये और अत्तहियात पढ़िए. अगर अपने दो रकात नमाज़ की नियत की थी तो, अत्तहियात के बाद दरूद शरीफ पढ़े और उसके बाद दुआ पढ़े "अल्लाह हुम्मा इन्नी..."
सलाम
फिर आप सलाम फेरेंगे मतलब
' अस्सलामो अलैकुम वा रहमतुल्लाह ' केहते हुए पहले दाहिने तरफ मुँह फेरिये, फिर दोबारा सलाम करते हुए बाये तरफ रुख कीजिये और दुआ पढ़िए.
' अल्लाह हुम्मा अंतस सालामु...'
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